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हम गैर-क्रिकेट खिलाड़ियों के लिए ब्रांड और ग्लैमर के लिए प्रयासरत हैं।: डॉ. प्रकाश भोसले

Dr. Prakash Bhosale with Sudha Singh - National record holder in 3000 metres steeplechase event

४ सितंबर को मध्य रेलवे द्वारा ‘फिट इंडिया' अभियान के तहत 'फिट इंडिया फ्रीडम रन 2.0' कार्यक्रम आयोजित छत्रपति शिवाजी टर्मिनस पर आयोजित किया गया था

MUMBAI, MAHARASHTRA, INDIA, September 7, 2021 /EINPresswire.com/ -- भारत की स्वर्ण पुत्री, अर्जुन पुरस्कार विजेता, अंतरराष्ट्रीय धावक, रेल अधिकारी पद्मश्री सुधा सिंहजी, श्री अनिल कुमार लाहोटीजी (महाप्रबंधक, मध्य रेलवे) अशोक शांडिलजी और अन्य रेलवे अधिकारियों के साथ-साथ बीबीजी ईब्रांडिंग इंडिया इंडस्ट्रीज ग्रुप के सीईओ डॉ. प्रकाश भोसलेजी एवं विकास अधिकारी श्री. सुनील सिंहजी उपस्थित थे। इस कार्यक्रम के माध्यम से 'फिट इंडिया' अभियान को एक राष्ट्रीय आंदोलन के रूप में लागू करने का निर्देश दिया गया है, जो सभी प्रकार के खेलों पर ध्यान आकर्षित करने का प्रयास कर रहा है।

गैर-क्रिकेट खेल: यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी आबादी वाला हमारा देश अभी भी खेल के क्षेत्र में पिछड़ रहा है। क्रिकेट ही एकमात्र ऐसा खेल है जिसे हमारे देश में प्राथमिकता दी गई है। हलाकि यह खेल दुनिया के गिने-चुने देशों में ही खेला जाता है, किन्तु भारत में क्रिकेट पर जोर दिया जाता है। लेकिन जब अन्य खेलों की बात आती है, तो समझ में आता है कि भारत अभी भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पीछे है। आज हमारे देश में कबड्डी, एथलेटिक्स, भाला फेंक, टेनिस, बैडमिंटन, वेटलिफ्टिंग, तीरंदाजी, मुक्केबाजी, कुश्ती, फुटबॉल, हॉकी, जिमनास्टिक, शतरंज, स्क्वैश, निशानेबाजी, तैराकी, ऐसे बहुत कुछ खेल खेले जाते है। लेकिन वे अभी भी पर्याप्त सुविधाओं और एक्सपोजर के अभाव में पिछड़ रहे हैं। यदि हमारा राष्ट्रीय खेल हॉकी अभी भी उपेक्षित है, तो अन्य खेलों की स्थिति का अनुमान लगाने से खेल के दुर्भाग्य की तस्वीर सामने आएगी।
मशहूर जर्मन-अमेरिकन मनोविज्ञानी एरिक एरिक्सन कहते हैं, “In the social jungle of human existence, there is no feeling of being alive without a sense of identity.”

पद्मश्री सुधा सिंह: पद्मश्री सुधा सिंह एक भारतीय एथलीट हैं। उन्होंने ओलंपिक खेलों, एशियाई खेलों और अन्य प्रतिष्ठित और महत्वपूर्ण आयोजनों में बाधा दौड़ खेल प्रकार में भारत का प्रतिनिधित्व किया है और देश के लिए कई पदक जीते हैं। उन्होंने एथलेटिक्स में राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाया है और एशियाई चैंपियनशिप में दो स्वर्ण पदक जीतकर देश का नाम ऊंचा किया है। उनकी उपलब्धियों के सम्मान में, उन्हें भारत सरकार द्वारा २०१२ में खेल के क्षेत्र में प्रतिष्ठित अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। इसी तरह, २०२१ में, उन्हें भारत के चौथे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार, पद्मश्री से भी सम्मानित किया गया है।

ब्रांड एंबेसडर और विज्ञापन: चूंकि गैर-क्रिकेट खिलाड़ियों को ज्यादा पहचान नहीं मिलती है, इसलिए इन खिलाड़ियों को क्रिकेटरों की तरह बड़ा ब्रांड एंबेसडर या विज्ञापन नहीं मिलता है। मिलता भी है तो भी उचित मानदेय नहीं मिलता। क्रिकेट मैचों के प्रसारण के लिए हमारे पास बहुत सारे अलग चैनल हैं। लेकिन अन्य खिलाड़ियों को एवं खेलों का प्रसारण करने के लिए एक भी चॅनेल नहीं है । इसलिए अन्य खेलों में खिलाड़ियों का प्रदर्शन कितना भी ऊंचा क्यों न हो जाए, चाहे उन्हें कितने भी मेडल मिल जाएं, देशवासियों को उनके बारे में पता ही नहीं चलता। क्रिकेटरों को करोड़ों रुपये मानदेय के साथ बड़े ब्रांड की एंबेसडरशिप मिलती है। आज १० में से ६ टीवी विज्ञापनों में क्रिकेटर दिखाई देते हैं। उन्हें एक अलग ग्लैमर और एक्सपोजर मिला है। आज क्रिकेटरों को फिल्मी सितारों की तरह ही सेलिब्रिटी का दर्जा प्राप्त है। लेकिन जब दूसरे प्रकार के खेल के खिलाड़ी अच्छा प्रदर्शन करते हैं तो सम्मान के रूप में रेलवे या बैंक में उन्हें ज्युनिअर अधिकारी स्तर या टीसी के रूप में उन्हें सरकारी नौकरियाँ और एक घर इनके आलावा कुछ खास नहीं मिलता है। हमें क्रिकेट के तरह अन्य खेलों पर भी ध्यान देने और उन्हें समर्थन करने की जरूरत है। अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति के संस्थापक और इसके दूसरे अध्यक्ष पियर डी कुबर्टिन ने कहा था कि, "All sports must be treated on the basis of equality !"

हमारा प्रयास: हाल के दिनों में कुछ खिलाड़ियों ने टेनिस, बैडमिंटन, बॉक्सिंग, कुश्ती, निशानेबाजी, तीरंदाजी, कबड्डी, भाला फेंक, जिम्नास्टिक जैसे खेलों में अपनी व्यक्तिगत प्रतिभा के दम पर बड़ी सफलता हासिल की है लेकिन अभी भी क्रिकेट के अलावा किसी अन्य खेल को एक्स्पोजर और ग्लैमर नहीं मिलता है। वही दूसरी और विदेशोंमें खेलों के प्रति श्रद्धा और समर्थन ज्यादा मिलता है। उन देशों में एथलीट्स और अन्य खिलाडियों को खास पहचान, सन्मान और ग्लैमर प्रदान किया जाता है। हम यह सुनिश्चित करने का प्रयास करते हैं कि देश में गैर-क्रिकेटरों को अच्छी ब्रांड एंबेसडरशिप, अच्छी पहचान, उचित सम्मान और उचित मानदेय मिले।

अमेठी की बेटी : पद्मश्री सुधा सिंहजी उत्तर प्रदेश के अमेठी जनपद की बेटी और रायबरेली की बहु है और उन्होंने देश के साथ साथ अपने परिवार और अमेठी और रायबरेली का गौरव बढ़ाया है। पद्मश्री सुधा सिंहजी को भोपाल और कोच्चि में २००८ सीनियर फेडरेशन कप, ओपन नेशनल में स्वर्ण पदक, चीन में २००९ में एशियन ट्रैक एंड फील्ड में रजत पदक, ग्वांनझु में २०१० में एशियन गेम्स में स्वर्ण पदक, जापान में २०११ में एशियन चैंपियनशिप में रजत पदक, पुणे में २०१३ एशियन चैंपियनशिप में रजत पदक, भुवनेश्वर में २०१७ में एशियन एथलेटिक्स चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक, जकार्ता २०१८ एशियन गेम्स में रजत पदक मिल चुका है। उन का जन्म उत्तर प्रदेश के अमेठी जिले में एक साधारण परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम हरि नारायण सिंह है जो आई टी आई से सेवानिवृत्त हैं। सुधाजी छात्रजीवन से ही खेलों में अद्वितीय प्रदर्शन कर रही हैं। एथलेटिक्स में सबसे कठिन स्पर्धा मानी जाने वाली स्टीपलचेज में अपना लोहा मनवाने वाली एथलीट, सुधा सिंहजी अर्जुन पुरस्कार के अतिरिक्त पद्मश्री से सम्मानित होने वाली प्रदेश की दूसरी महिला खिलाड़ी हैं। इन्हें एथलेटिक्स की दुनिया में "रायबरेली एक्सप्रेस" के नाम से जाना जाता है।

हम क्या कर सकते हैं: हम हमेशा यह सुनिश्चित करने का प्रयास कर रहे हैं कि गैर-क्रिकेट खिलाड़ियों को उचित प्रदर्शन और समर्थन मिले, खेल जगत में एक अपनी अलग पहचान स्थापित करें और देशवासियों से उनका उचित सम्मान मिले। इसके लिए हम गैर-क्रिकेटरों की सहायता कर सकते हैं। अधिक जानकारी के लिए हमें संपर्क करें।

Dr. Prakash Bhosale
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